सियार सिंगी का वशीकरण प्रयोग
सियार सिंगी वशीकरण प्रयोग, सियार सिंगी की पहचान/फायदे,सियार सिंगी को सिद्ध करने की विधि – तंत्र-मंत्र के अनेक प्रयोगों में सियार सिंगी का उपयोग किया जाता है| यह चमत्कारी परिणाम देने वाली वस्तु है| इससे संबन्धित प्रयोगों अथवा इसके फ़ायदों के बारे में जानने से पूर्व यह जानना आवश्यक है कि सियार सिंगी क्या है और इसकी पहचान क्या है| दरअसल प्राणी शास्त्रियों के अनुसार सियार को सिंह(हॉर्न) नहीं होता है| परंतु जब वह विशेष मुद्रा में हुआ-हुआ करता है तो उसके मस्तक पर एक नुकीली संरचना उभर आती है जो हड्डियों के समान सख्त होती है| यही नुकीली संरचना सियार सिंगी कहलाती है| अनेक साधक इसे सिद्ध करने के बाद अपनी जंघा चीरकर उसके भीतर सियार सिंगी रख लेते हैं| ऐसा करने से वह अजेय हो जाते हैं| परंतु यह सामान्य मनुष्य के वश की बात नहीं है इसलिए ऐसी चेष्टा नहीं करनी चाहिए|
सियार सिंगी की पहचान/फायदे
यह भूरे बालों से ढँकी होती है| हैरत की बात यह है कि यदि इसे सिंदूर में मिलाकर रख दिया जाए तो उसके बाल बढ़ने लगते हैं| बालों का बढ़ना ही इसकी पहचान है| यह छोटी, बड़ी, चपटी हो सकती है परंतु किसी भी स्थिति में आंवले से बड़ी न नहीं होती है| तांत्रिक-मांत्रिक इससे बड़े-बड़े प्रयोग करते हैं, साधारण व्यक्ति इसे सिर्फ सिंदूर की डिब्बी में भरकर रखे तो भी अत्यंत कल्याणकारी होता है| इसके अतिरिक्त –
- होली के दिन सियार सिंगी को चांदी की डिब्बी में रख लें तथा प्रत्येक पुष्य नक्षत्र में सिंदूर चढ़ाएँ| इससे धन का प्रवाह होता है, कर्ज से मुक्ति मिलती है|
- तांबे या चांदी की डिब्बी में सियार सिंगी को भरकर उसके ऊपर पहले लौंग इलायची रखें, पुनः उसके ऊपर सिंदूर डालकर डिब्बी कसकर बंद कर दें| अब उस डिब्बी को लाल कपड़े में लपेटकर पूजा स्थल, गल्ला, तिजोरी कहीं भी रख दें| अब नित्य उस स्थान पर’ ॐ नमो भगवती पद्मा श्रीम ॐ हरीम, पूर्व दक्षिण उत्तर पश्चिम धन द्रव्य आवे, सर्व जन्य वश्य कुरु कुरु नमःl” मंत्र का जाप पाँच बार करे| जो भी समस्या हो मन ही मन कहें| पारिवारिक जीवन जीने वाले लोगों के लिए यह विधि आदर्श है|
सियार सिंगी वशीकरण प्रयोग
प्रयोग – 1
वैसे सियार सिंगी एक दुर्लभ वस्तु है, यदि यह किसी प्रकार मिल जाए तो इससे अचूक वशीकरण प्रयोग किए जा जा सकते हैं| उदाहरण के लिए सियारसिंगी की सहायता से किए जाने वाले कुछ कारगर प्रयोग निम्नलिखित हैं –
यह प्रयोग शुक्रवार को करें| स्टील की प्लेट पर जिसे वश में करना हो उसका नाम रोली या कुमकुम से लिख लें| अगर उसकी कोई तस्वीर आपके पास हो तो लिखे गए नाम के ऊपर उसकी तस्वीर रख दें| पुनः तस्वीर के ऊपर सियार सिंगी स्थापित करें| इस सियार सिंगी को आराध्य समझते हुए केसर से तिलक करें, जल, पुष्प, अच्छत एवं गंध(इत्र)अर्पित करें, मिष्ठान्न का भोग लगाएँ| अब 108 बार निम्नलिखित मंत्र का जाप करें –
बिस्मिलाह मेह्मंद पीर आवे घोढ़े की असवारी ,पवन को वेग मन को संभाले, अनुकूल बनावे , हाँ भरे , कहियो करे , मेह्मंद पीर की दुहाई , सबद सांचा पिण्ड काचा फुरो मंत्र इश्वरो वाचा.
यह मुसलमानों में प्रचलित प्रसिद्ध आजमाया हुआ मंत्र है| निरंतर 11 दिनों तक प्रतिदिन 108 बार जाप करने से सियार सिंगी अभिमंत्रित हो जाता है| ग्यारह दिन के पश्चात नाम लिखा हुआ स्टील की प्लेट, चित्र तथा सियार सिंगी किसी लाल कपड़े में बांध कर कहीं रख दें| जब तक वह चित्र सियार सिंगी के साथ बंधा रहेगा तब तक वह व्यक्ति आपसे सम्मोहित रहेगा| इसकी ऊर्जा बनाए रखने के लिए प्रतिदिन लाल कपड़े में बंधी सियार सिंगी के समक्ष 21 बार नित्य इस मंत्र का जाप करते रहें|
सियार सिंगी का वशीकरण प्रयोग 2
नवरात्रि, अथवा शनिवार को रात्रि के 10 बजे के उपरांत एकांत कक्ष में यह प्रयोग प्रारम्भ करें| सर्व प्रथम देवी चामुंडा की प्रतिमा अथवा चित्र किसी काष्ठ पीठिका पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित करें| चित्र के सम्मुख एक थाली रखें, उसपर छः कोण युक्त दो ताराकृति अंकित करें| मध्य में सिंदूर से बिंदी लगाएँ तथा उसके ऊपर जोड़ा सियार सिंगी(नर तथा मादा) रख दें|
पुनः भूमि पर भी रोली अथवा कुमकुम से छः कोण युक्त ताराकृति का अंकन करें| उसके मध्य भाग में सिंदूर से बिंदी लगाएँ| बिंदी के ऊपर थोड़ा सा जल जल भरा लोटा रख दें, उसके ऊपर दीपक लगा दें| अब दीपक में दो साबुत लौंग रख दें| इस इंतजाम के पश्चात चमेली अथवा गुग्गल से धूप जलाएँ|
इसके बाद, पुष्प को जल में भिंगोकर देवी चामुंडा की प्रतिमा अथवा चित्र पर छींटे डालें, गोरोचन से तिलक करें, इत्र एवं अक्षत अर्पित करें| मिष्ठान्न का भोग लगाएँ| अब जिस व्यक्ति को वश में करना हो यदि वह स्त्री है तो मादा सियार सिंगी के ऊपर और पुरुष हो तो नर सियार सिंगी के ऊपर उसका चित्र रखें| यदि आप पुरुष है तो अपना चित्र नर सियार सिंगी के ऊपर स्त्री हैं तो स्त्री सियार सिंगी के ऊपर रखें| अब इस जोड़े का पंचोपचार विधि से पूजन करें| अब हाथ में दो लौंग तथा दो इलायची लें तथा देवी चामुंडा से अपने अभीष्ट हेतु प्रार्थना करें कि मैं ––अमुक गोत्र की अमुक व्यक्ति को अपने वश में करना चाहती/चाहता हूँ और इसी निमित्त से यह अनुष्ठान संपादित कर रही हूँ| ऐसा कहकर लौंग और इलायची देवी चामुंडा को अर्पित कर दें|
पुनः दो लौंग और दो इलायची लेकर सियार सिंगी के जोड़े को संबोधित करते हुए कहें कि – अब तुम मेरे पास हो मेरे हित में अमुक व्यक्ति को मेरे वश में करो| ऐसा कहकर लौंग तथा इलायची उसे अर्पित कर दें| पुनः सियार सिंगी पर लगे तिलक को स्पर्श कर उसी से अभीष्ट व्यक्ति के चित्र पर तिलक करें| यदि पुरुष को वश में करना हो तो मादा सिंगी का तिलक उठाएँ, स्त्री को वश में करना हो तो पुरुष सिंगी का तिलक उठाएँ|
अगले चरण में हकीक की माला पर निम्नलिखित मंत्र का 5 माला जाप करें –
ॐ नमो भगवते रुद्राणी चमुन्डानी घोराणी सर्व पुरुष क्षोभणी सर्व शत्रु विद्रावणी।
ॐ आं क्रौम ह्रीं जों ह्रीं मोहय मोहय क्षोभय क्षोभय …
मम वशी कुरुं वशी कुरुं क्रीं श्रीं ह्रीं क्रीं स्वाहा।
सियार सिंगी को सिद्ध करने की विधि
यह जाप तथा पूजन निरंतर 21 दिन तक करते रहें| नित्य पूजा के पश्चात प्रयुक्त मिठाई, पुष्प, अक्षत आदि को किसी पेड़ की जड़ अथवा चींटियों के बिल के समक्ष रख आएँ| अन्य वस्तुओं को लाल कपड़े में बांधकर सुरक्षित रख दें| बांधते वक्त अपना चित्र तथा अभीष्ट व्यक्ति का चित्र एक दूसरे की तरफ मुंह कर के रखें और उसके ऊपर सियार सींगियों को रखें| लोटे के ऊपर रखे दीपक का तेल थोड़ा बहुत रिसकर लोटे में गिर जाता है| उसे किसी चम्मच की सहाता से निकालकर काँच की छोटी सी शीशी में रख लें| प्रतिदिन तेल काँच की शीशी में भरने के बाद मंत्र जपकर उस पर तीन बार फूँक मारे| 21 दिन बाद काफी मात्र में तेल इकट्ठा हो जाएगा| दीपक में रखी जली हुई लौंग भी किसी शीशी में रखते जाएँ| 21 दिन के बाद वह व्यक्ति खुद आपके पास आएगा| यदि न आए तो सिर्फ जप करते रहें|
अब इस प्रयोग में इस्तेमाल की गई सभी वस्तुएँ उस व्यक्ति को वशीभूत करने के काम आ सकती हैं जैसे
- सियार सिंगी पर चढ़ी लौंग को पीसकर चूर्ण बना लें और जैसे ही वह आपके सामने उपस्थित हो मन ही मन मंत्र दोहराते हुए उसके ऊपर छिड़क दें| वह आपसे वशीभूत होकर आपका दास बन जाएगा|
- देवी चामुंडा को अर्पित लौंग इलायची उसके खाने-पीने वाली वस्तु में मिलाकर खिला दें|
- गोरोचन का तिलक या तो उस व्यक्ति के मस्तक पर कर दें अथवा उसके ऊपर छिड़क दें|
इसमे ध्यान रखने योग्य तथ्य यह है कि पूजा में प्रयुक्त सामग्रियाँ असली हो|